drama- नाटक
अभी ऎक और नाटय मंडली का खेल शरु होनेवाला है और ईस नाटक़ नाम है "मेरी माँ सोनिया" और ईस नाटक के कलाकार है फरजंदेखास काँग्रेसी नेताओ.
ईस नाटक मे माँ के प्रति स्नेह किस तरह व्यकत करते है ओर माँ केसे त्याग या बलिदान देती है ये दिखाया जायेगा, वैसे तो माँ को त्याग की मूर्ति कहा जाता है लेकिन ईस नाटक मे माँ ने अपने जीवन मै कुछ भी काम नही किया फीर्भी कैसे धनवानो की तरह जीवन बिताया ये दिखाया जायेगा और जब जब उसके सामने राजसिहासन आया ओर मिला नही तब कैसे वो जो कथाओ मे आते है "कितने खटे है अंगुर" ये कहावत को अपने जीवन मे अनुकरण किया.
तो सभी लोग होशियार,सावधान अब नाटक शरु होने जा रहा है.
लेकिन ये नाटक देखेगे कहाँ ? मेरे निर्बल देश के कायर प्रजाजनो ये नाटक आपको हर शहेर मे हमारे स्वामीभक्त काँग्रेसी दिखायेगे.
यह कौन सी व्यवस्था है ?
यह कौन सी व्यवस्था है
नाटक के सारे पात्र जहां
खलनायक है
खुशामदी विदुषक
जिनके हर कूकर्म पर
तालिया बजाते है
जहां तिकडमी लफंगे
सत्ताधारी है
हाकिम तोडते है नियम
कानून-कायदे सिर्फ मामुली
लोगो के
वास्ते है
शरिफ धक्के खाते है
जहां सच्चाई दंडनीय है
सही बात कहने का साहस
संगीन अपराध है
-गिरजाकुमार माथुर
ईस नाटक मे माँ के प्रति स्नेह किस तरह व्यकत करते है ओर माँ केसे त्याग या बलिदान देती है ये दिखाया जायेगा, वैसे तो माँ को त्याग की मूर्ति कहा जाता है लेकिन ईस नाटक मे माँ ने अपने जीवन मै कुछ भी काम नही किया फीर्भी कैसे धनवानो की तरह जीवन बिताया ये दिखाया जायेगा और जब जब उसके सामने राजसिहासन आया ओर मिला नही तब कैसे वो जो कथाओ मे आते है "कितने खटे है अंगुर" ये कहावत को अपने जीवन मे अनुकरण किया.
तो सभी लोग होशियार,सावधान अब नाटक शरु होने जा रहा है.
लेकिन ये नाटक देखेगे कहाँ ? मेरे निर्बल देश के कायर प्रजाजनो ये नाटक आपको हर शहेर मे हमारे स्वामीभक्त काँग्रेसी दिखायेगे.
यह कौन सी व्यवस्था है ?
यह कौन सी व्यवस्था है
नाटक के सारे पात्र जहां
खलनायक है
खुशामदी विदुषक
जिनके हर कूकर्म पर
तालिया बजाते है
जहां तिकडमी लफंगे
सत्ताधारी है
हाकिम तोडते है नियम
कानून-कायदे सिर्फ मामुली
लोगो के
वास्ते है
शरिफ धक्के खाते है
जहां सच्चाई दंडनीय है
सही बात कहने का साहस
संगीन अपराध है
-गिरजाकुमार माथुर
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