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Hindu civilizationa & culturels protections also movement to Akhand Bharat - हिंन्दु स्भ्यता,संस्क्रुति का रक्षण करना ऎवं अखंड भारत का निर्माण करना.

Thursday, May 25, 2006

global warming- तापमान



आज हमारे विश्व के सामने सब से बडी स्मस्या है "ग्लोबल वोर्मींग" की, दिन-प्रतिदिन वातावरण मे याने तापमान बढता जाता है, आज से 50 वर्ष पहेले ईतनी गरमी नही पडती थी जो आज-काल पड रही है.

ईसका कारण क्या है ? ईस के लिये कोन जिम्मेदार है ?

पहले तो हम लोग वृक्ष उगाते नही है,आप कही भी जाओ,कोई अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझकर वृक्ष उगाता नही है अगर ऎक व्यक्ति अपने जीवन काल मे कम से कम 10 वृक्ष उगाऎ तो भी हमारी ईस सुंदर पृथ्वी के उपर जो "ग्लोबल वोर्मीग" का भय है वौ नष्ट हो जायेगां.

दुसरी बात हमे बिना काम से जिस तरह वाहन-व्यहार के साधनो का उपयोग करते है वो बंध कर देना चाहिऎ और सायकाल का उपयोग करना चाहिऎ और सायकाल चलाने मे कोई लज्जा नही होनी चाहिऎ अगर हमे कोई कहे 'अर, यार तु तो बडा कजुंस है, क्या ये साईकल चलाता है कोई स्कुटर,बाईक या मोटर ले ले" तो ऎसी बातो का ध्यान नही देना चाहिये,हमारे पोरबंदर शहेर छोटा है ओर आप चल कर याँ साईकल पे किसी भी विस्तार मे जा सकते है परंतु लोगो की मानसिकता ऎसी हो गई है के अगर आप बाईक या मोटर के बिना जाओगें तो आपकी आबरु का धक्का लगेगा और आप का मन चल कर यां साईकल पे जाने की ईच्छा करेगां परंतु आप अपनी झुठी आबरु बचाने के लिये 2 किलोमीटर मोटर लेके जायेगेँ,और अपनी संपति का दंभ दिखाने के लिये समाज मे अकड कर चलेगेँ, अरे भांड मे जाये ऎसे समाज जहा प्रकृति के बजाये अकुत्रिम जीवन हो, मे तो सारे पोरबंदर मे सायकल ले के 25 वर्ष से घुमता हुं, मे कोई चिंता नही करता के लोगो मेरे बारे मे क्या कहते है.

और हमारे जो ये दंभी साधु है जो सारे दिन "वेद" की बाते करते है पर वेद मे जो बताया है वो नही करते, उन हरामखोरो ने अपने जीवन मे ऎक वृक्ष भी नही उगाया होगा ऎसे आलसु लोग जो सारे दिन मंदिर में सिर्फ धन ही बनाते है.
हाँ, बन सके तो कभी भी मंदिर मे धन नही देना ईसके बजाये ऎक वृक्ष उगाना.
visit Global warming : http://news.bbc.co.uk/1/hi/in_depth/sci_tech/2004/climate_change/default.stm


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